गुरुवार, 25 नवंबर 2010

घर से मेरे पति को उठा कर पुलिस ने फर्जी मुठभेड में मार दिया ? महिला का प्रलाप


मृतक की पत्नि सिताय बाई का आरोप
कांकेर जिले के ब्लाक अंतागढ़ के  भैंसगांव ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम निबरा के आदिवासी सनऊ राम उम्र 38 वर्ष को पुलिस जवानों ने उसके घर से पूछताछ करने के नाम से उठा कर ले गये। इस घटना को लगभग एक माह होने जा रहा हैं और उस व्यक्ति का कोई अता पता नही हैं। सनऊराम के परिजन पुलिस के कई चक्कर लगा कर थक चुके हैं किन्तु पुलिस वाले उसे अपने साथ लेकर आने से इंकार कर रहे हैं। सनऊराम की पत्नि पुलिस वाले के साथ उसके घर आये एसपीओ के जवानों को पहचानती हैं। रावघाट पुलिस थाने के थाना प्रभारी के ऊपर ग्रामीणों एवं परिजनों ने आरोप लगाया है कि इस घटना की जानकारी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को ना दे अन्यथा उनको भी नक्सली घोषित कर गिरफ्तार कर लिया जायेगा। 
आज जिला मुख्यालय कांकेर आकर सनऊराम की पत्नि श्रीमती सिताय बाई ने पत्रकारों के समक्ष पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसके पति का पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ बता कर मार दिया है। सिताय बाई ने अपना दुखड़ा पत्रकारों के समक्ष व्यक्त कर जिले के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को लिखित में आवेदन देकर आरोप लगाया है कि 21 अक्टूबर को रात्रि लगभग 3 बजे पुलिस व एसपीओ के जवान उसके घर आकर दरवाजा खोलने के लिए कहने लगे। दरवाजा नही खोलने पर फाटक को लातों से मारने लगे तो मैने दरवाजा खोला। वे लोग सनऊ कहां है कह कर पुछने लगे, मैने उन्हे बताया कि वो सो रहे हैं। कुछ लोग अन्दर घर के अन्दर घुसे तो मेरे पति बाहर निकले। एक व्यक्ति ने मेरे पति के हाथ को पकड़ा तो मेरे पति ने उसे पहचान कर कहा कि तुम तो कोसकोण्डा के बजनू हो तो उस व्यक्ति ने हां कहा, उसके साथ एसपीओ घस्सु व घसिया  भी थे। वे लोग मेरे पति को ले जाने लगे तो मै अपने पति से लिपट गई और उन्हे नही ले जाने के लिए विनती की। किन्तु घस्सुराम मुझे धक्का देकर मेरे पति को ले जाते हुए कहा कि सुबह वापस आ जायेगा। 
सिताय बाई ने बताया कि मैने इस घटना की जानकारी सुबह गांव वालों को दी एवं गांव वालों के साथ मेरे पति को लेने रावघाट थाना गए। थाने में पुलिसवालों ने कहा कि सनऊ यहां नही है उन्हे नक्सली उठा कर ले गये होगें। कुछ दिनों बाद 29 अक्टूबर को पुन: गांव वालों के साथ थाना गई एवं कहा कि जो लोग मेरे पति को लेकर आये हैं मैं उन्हे पहचानती हूं। मेरे इतना कहते ही पुलिस वाले मारने के लिए डण्डा लेकर आये जिससे मैं डर गई। थाना प्रभारी ने कहा कि तुम गांववालों को लेकर नही आओगे। गांववालों को भी डरा कर कहा गया कि वे सिताय बाई के साथ नही आओगे। 
सिताय बाई ने बताया कि 11 अक्टूबर को मढ़पा में पुलिस एवं नक्सली मुठभेड़ में एक नक्सली को मारने का दावा पुलिस ने किया हैं। शिनाक्ती ताड़ोकी में करवाया गया। मुझे शक है कि  मेरे पति को नक्सली ड्रेस पहना कर मार दिये होगें। यदि मेरे पति को पुलिस ने नही मारा है तो मेरे पति को अतिशीघ्र वापस किया जाए। अगर मेरा पति किसी प्रकार से दोषी है तो उसे न्यायालय में प्रस्तुत करे । सताय बाई ने यह भी कहा कि मेरे पति जीवित नही है तो जिस व्यक्ति को मुठभेड़ में मारना बताया जा रहा है उसकी तस्वीर दिखाई जाये। किन्तु पुलिस वाले ना तो सिताय बाई के पति सनऊराम के बारे में कोई जानकारी देते हैं और ना ही मृत नक्सली की तस्वीर ही दिखाते हैं। 
इस प्रकार की घटना बस्तर में आम बात हो चला है आदिवासी ग्रामीण एकओर तो नक्सलियों से परेशान हैं तो दूसरी ओर पुलिसवालों की प्रताडऩा  से आखिर बस्तर के बस्तरिया करें तो क्या करें?

बुधवार, 24 नवंबर 2010

पुलिस ने विद्युत कर्मियों को नक्सली बता गिरफ्तार किया



कांकेर जिले के अन्तागढ़ विद्युत वितरण केन्द्र के अन्तर्गत आने वाले ताड़ोकी में पदस्थ विद्युत कर्मचारी रामप्रसाद नाग एवं रजेसिंह बघेल को रावघाट थाना के थाना प्रभारी द्वारा नोटिस प्रेषित कर थाना बुला कर नक्सली बता रजे सिंह बघेल को गिरफ्तार कर लिया तथा रामप्रसाद नाग को फरार घोषित कर दिया हैं। 
इस घटना के बाद कांकेर जिले के विद्युत कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया हैं। कर्मचारियों ने पुलिस अधीक्षक सहित जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इस की जानकारी दे कर रावघाट थाना प्रभारी के विरूद्ध कार्रवाई करने की मांग की हैं। कर्मचारियों का कहना है कि थाने में बुला कर थाने के ही एक पुलिस कर्मचारी ने फंसाने की नीयत से नक्सली सामग्री एवं आपत्तिजनक सामग्री मोटर सायकल की डिक्की में डाल दिया। कर्मचारियों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि पुलिस की इस प्रकार की हरकतों  से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में उनका काम करना मुश्किल हो जायेगा। पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई नही किए जाने पर विद्युत कर्मचारियों ने आन्दोलन करने की चेतावनी दी हैं। 

आप सभी का धन्यवाद

आप मित्रों ने अपनी टिप्पणी भेज कर नये ब्लागर का हौसला बढ़ाया है उसके लिए आप सभी का धन्यवाद। नक्सलवाद की समस्या के खात्में के लिए आप सभी के सुझाव सदैव आमंत्रित हैं। शायद आपके सुझााओं पर सरकार की नजर पड़े और इस समस्या के समधान की दिशा में कुछ कारगार कदम उठावे।
उम्मीद है आप लोगों के सुझाव इसी प्रकार मिलते रहेगें।

मुठभेड़ में नौ नक्सली मरे व माओवादियों द्वारा पुलिस वाहन उड़ाने से दो आरक्षक शहीद


दंतेवाड़ा के जगरगुंड़ा इलाके में पुलिस व नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में पुलिस ने नौ नक्सलियों को मार गिराया। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने 20 नक्सलियों को मारने का दावा किया हैं। पुलिस नक्सली मुठभेड़ में नक्सलियों के इतनी संख्या में मारे जाने के बाद नक्सली बौखला कर बड़े हमले की तैयारी अवश्य करेगें। सरकार को अपने सूचना तंत्र को सक्रिय कर सतर्क रहना होगा। अन्यथा इस प्रकार की घटना के बाद नक्सली बदला लेने की नियत से बड़े वारदात को अंजाम देते हैं।
दूसरी ओर माओवादियों ने बीजापुर जिले के तिम्मापुर पोस्ट राशन छोड़ कर लौट रहे सीआरपीएफ के बुलेटप्रुफ वाहन को आवापल्ली बासागुड़ा मार्ग पर मंगलवार दोपहर बारूदी विस्फोट से उड़ा दिया। इस घटना में वाहन में सवार दो आरक्षकों की मौके पर ही मौत हो गई।
बस्तर संभाग के चप्पे चप्पे में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग का जाल बिछाया हुआ हैं। इस बात की जानकारी पुलिस बल को है, बावजूद इसके पुलिस के जवानों के द्वारा लापरवाही बरती जाती है और इस प्रकार की घटनाएं घटती रहती हैं।
समस्या से सरकार आंखे मूंदे बैठी है
पिस रहा आम बस्तरिया
पुलिस व नक्सलियों के बीच चल रहे खूनी खेल में बस्तर की धरती लाल हो रही हैं। सरकार नक्सलवाद की समस्या को सिर्फ कानून व्यवस्था का प्रश्न बता कर इस समस्या से निपटने की जिम्मेदारी जिला पुलिस बल एवं सीआरपीएफ के ऊपर छोड़ दिया हैं। इस समस्या के बुनियाद में जो समस्याएं है उसे सरकार के द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा हैं। पुलिस व नक्स्लियों के बीच चल रहे इस खूनी खेल में बस्तर का आम आदमी पिसता चला जा रहा हैं।

शनिवार, 20 नवंबर 2010

नक्सलियों ने की स्कूल छात्र की निर्मम हत्या


नक्सलवाद की समस्या दिनों दिन बढ़ते ही जा रही हैं। कभी किसी के अपहरण की तो कभी किसी की मुखबिरी के नाम से हत्या करने की जानकारी समाचार पत्रों के द्वारा मिलती रहती हैं। नक्सलवादियों ने स्कूलों एवं छात्रावास को भी नही बक्शा हैं।
कुछ दिन पूर्व कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना के अन्तर्गत आने वाले गांव उदनपुर के रहने वाले कक्षा 10 वीं के छात्र महंगूराम नेताम की नक्सलियों के द्वारा हत्या कर दी गई। नक्सलियों ने महंगूराम को मुखबिर बता कर हत्या की थी। नक्सलियों ने 10 नवंबर को महंगूराम का स्कूल से अपहरण कर लिया था और उसे पुलिस का मुखबिर बता कर निर्मम हत्या कर दी थी। जिसके विरोध में अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, ताड़ोकी, भानुप्रतापपुर व दुर्गूकोंदल में स्कूली छात्र छात्राओं ने नगर में रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया।
अक्सर नक्सलवादियों के द्वारा ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बता कर हत्या कर दी जाती हैं। तो दूसरी ओर पुलिस ग्रामीणों को नक्सलियों की समर्थक बता कर प्रताडि़त करती हैं। बस्तर के ग्रामीण आदिवासी दोनो ओर से पीस रहे हैं। सरकार इस समस्या से आंखे मुदें बैठी हैं। अभी तक इस समस्या के निदान के लिए कोई ठोस रणनीति नही बन पाई हैं। सरकार इसका समाधान पुलिस फोर्स के माध्यम से करना चाहती हैं, जो कि संभव नही हैं। सरकार में बैठे नुमाइंदे भी इस समस्या को उठाते नही और नाही इस संबंध में कुछ कहते हैं। हर छोटी बड़ी बात पर समाचार पत्रों में वक्तव्य प्रसारित करने वाले नेता इस समस्या को लेकर अपनी जुबान तक नही खोलते।
नक्सलवादियों के द्वारा स्कूली छात्र की गई हत्या को किसी भी प्रकार से जायज नही ठहराया जा सकता। मासूम बच्चे की हत्या करने से आखिर नक्सलवादियों को क्या हासिल हुआ होगा। वैसे भी नक्सलवादी अपने ग्रुप में कम उम्र के बच्चों को शामिल करते हैं। जिनको किसी भी प्रकार जानकारी नही होती। ऐसा महसूस होता है कि स्कूली छात्रों में दहशत पैदा करने के उद्देश्य से यह घटनाकारित की गई हैं। इससे भयभीत होकर स्कूली छात्र भी नक्सलियों के ग्रुप में शामिल होने लगेगें।
स्कूली छात्र छात्राओं ने नक्सलियों के विरूद्ध विभिन्न कस्बों में रैली निकाल कर महामहिम राज्यपाल के नाम से प्रेषित ज्ञापन के माध्यम से कहा है कि नक्सली चाहते हैं कि कोई विकास ना हो तथा वे लोग हमेशा अनपढ़ ही रहे ताकि नक्सलियों का स्वार्थ सिद्ध होता रहें।
नक्सलियों ने अपहृत पुलिस जवानों को छोड़ा
समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली की नक्सलियों के द्वारा दस दिन पूर्व अपहृत किए गये दो पुलिस जवानों को छोड़ दिया हैं। इस बात की पुष्टि समाचार पत्रों को उनके परिजनों ने की हैं। नक्सलियों ने नारायणपुर जिला पुलिस बल के दो जवान जितेन्द्र पटेल एवं खेमराम साहू का गश्त के दौरान कर लिया था। इस घटना से उनके परिजन काफी परेशान थे। नक्सलियों के द्वारा उन्हे छोड़ जाने पर उनके परिजनों ने चैन की सांस ली हैं।

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं


दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
दीपावली का पर्व आप सबके लिए मंगलकारी हो।
दीप पर्व आपके परिवार के लिए सुख, समृद्धि, सुख, शांति व प्रगति लेकर आए।
दीपोत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक हैं।
हम भी अपनी बुराईयों को त्याग कर अच्छाई को अपनाएं।
दीपावली पर पुनः आपके एवं आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।